भारतीय सेनाएं हमेशा देश की रक्षा के लिए तत्पर रहती हैं. वायु, जल और थल तीनों ही क्षेत्रों में भारतीय सेना ने देश की सुरक्षा की कमान संभाली हुई. इनके साथ ही भारतीय तटरक्षक बलों का भी योगदान बेहद अहम है जो भारतीय तटों की रक्षा के लिए चौबीसों घंटे सतर्क रहते हैं. आज भारतीय तटरक्षक बलों के लिए एक अहम दिन है. आज यानि 01 फरवरी के दिन ही वर्ष 1977 में इसकी स्थापना हुई थी. भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard) रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है. इसकी स्थापना रुस्तमजी समिति की अनुशंसा पर विशेष आर्थिक क्षेत्रों की देखभाल तथा रक्षा के लिए की गई थी.
इतिहास
भारत में तटरक्षक का आविर्भाव, समुद्र में भारत के राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार के भीतर राष्ट्रीय विधियों को लागू करने तथा जीवन और संपति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नई सेवा के तौर पर 01 फ़रवरी 1977 को हुआ था। इस बात की आवश्यकता महसूस की गई कि नौसेना को इसके युद्धकालीन कार्यों के लिए अलग रखा जाना चाहिए तथा विधि प्रवर्तन के उत्तरदायित्व के लिए एक अलग सेवा का गठन किया जाए, जोकि पूर्णरूप से सुसज्जित तथा विकसित राष्ट्र जैसे संयुक्त राज्य अमरीका, संयुक्त राज्य इत्यादि के तटरक्षकों के तर्ज पर बनाई गई हो।
इस योजना को मूर्तरूप देने हेतु सितम्बर 1974 में श्री के एफ रूस्तमजी की अध्यक्षता में समुद्र में तस्करी की समस्याओं से निपटने तथा तटरक्षक जैसे संगठन की स्थापना का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया गया। इस समिति ने एक ऐसी तटरक्षक सेवा की सिफारिश की जोकि रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में नौसेना की तर्ज पर सामान्य तौर पर संचालित हो तथा शांतिकाल में हमारे समुद्र की सुरक्षा करे। 25 अगस्त 1976 को भारत का समुद्री क्षेत्र अधिनियम पारित हुआ। इस अधिनियम के अधीन भारत ने 2.01 लाख वर्ग किलोमीटर समुद्री क्षेत्र का दावा किया, जिसमें भारत को समुद्र में जीवित तथा अजीवित दोनों ही संसाधनों के अन्वेषण तथा दोहन के लिए अनन्य अधिकार होगा। इसके बाद मंत्रिमंडल द्वारा 01 फ़रवरी 1977 से एक अंतरिम तटरक्षक संगठन के गठन का निर्णय लिया गया। 18 अगस्त 1978 को संघ के एक स्वतंत्र सशस्त्र बल के रूप में भारतीय संसद द्वारा तटरक्षक अधिनियम,1978के तहत भारतीय तटरक्षक का औपचारिक तौर पर उद्घाटन किया गया।
ध्येय
भारतीय तटरक्षक के मिशन का वक्तव्य निम्न है : "हमारे समुद्र तथा तेल, मत्सय एवं खनिज सहित अपतटीय संपत्ति की सुरक्षा : संकटग्रस्त नाविकों की सहायता तथा समुद्र में जान माल की सुरक्षा : समुद्र, पोत-परिवहन, अनाधिकृत मछ्ली शिकार, तस्करी और स्वापक से संबंधित समुद्री विधियों का प्रवर्तन : समुद्री पर्यावरण और पारिस्थितिकी का परिरक्षण तथा दुर्लभ प्रजातियों की सुरक्षा : वैज्ञानिक आंकडे एकत्र करना तथा युद्ध के दौरान नौसेना की सहायता करने सहित हमारे समुद्र तथा अपतटीय परिसम्पत्तियों का संरक्षण करना I
कर्तव्य एवं सेवाएं
भारतीय तटरक्षक, भारत के समुद्री क्षेत्रों में लागू सभी राष्ट्रीय अधिनियमों के उपबंधों का प्रवर्तन करने के लिए प्रमुख संस्था है, जो राष्ट्र एवं समुद्री समुदाय के प्रति निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करता हैI
- हमारे समुद्री क्षेत्रों में कृत्रिम द्वीपों, अपतटीय संस्थापनाओं तथा अन्य संरचना की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करना।
- मछुवारों की सुरक्षा करना तथा समुद्र में संकट के समय उनकी सहायता करना।
- समुद्री प्रदूषण के निवारण और नियंत्रक सहित हमारे समुद्री पर्यावरण का संरक्षण और परिरक्षण करना।
- तस्करी-रोधी अभियानों में सीमा-शुल्क विभाग तथा अन्य प्राधिकारियों की सहायता करना।
- भारतीय समुद्री अधिनियमों का प्रवर्तन करना।
- समुद्र में जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करना।
संगठन
भारतीय तटरक्षक का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसे पाँच क्षेत्रों में बाँटा गया है :
- पश्चिमी क्षेत्र - क्षेत्रीय मुख्यालय : मुंबई
- पूर्वी क्षेत्र - क्षेत्रीय मुख्यालय : चेन्नई
- उत्तर पूर्वी क्षेत्र - क्षेत्रीय मुख्यालय : कोलकाता
- अंडमान व निकोबार क्षेत्र - क्षेत्रीय मुख्यालय : पोर्ट ब्लेयर
- उत्तर पश्चिमी क्षेत्र - क्षेत्रीय मुख्यालय : गाँधीनगर, (गुजरात)